तुम देना साथ मेरा

तुम देना साथ मेरा

Wednesday 14 February 2018

ना होती स्त्री मैं तो


सीमित हूँ 
बहुत.....मैं
शब्दों में....
अपने ही
लेकिन, हूँ
विस्तृत बहुत
अर्थों में..... मेरे
अपने ही...
ना होती स्त्री 
मैं  तो...कहो
कहाँ होता...अस्तित्व 
तुम्हारा.........भी
मेरे होने से.... ही
तुम पुरुष हो....वरना 
व्यर्थ है... 
तुम्हारा...यह 
व्यक्तित्व....
-मन की उपज