तुम देना साथ मेरा

तुम देना साथ मेरा

Saturday 12 November 2011

सब जानते हैं...............राजीव उपाध्याय

सब जानते हैं,
मैं,
आप,
और सारी दुनिया,
कि विवश है नारी,
परतंत्रता कि बेड़ियों ने जकड़ा है उसे,
काव्य गोष्ठियों में,
विचार मंचो में,
और कला प्रदर्शनियों में वाह-वाही करने वाले,
''''हम'''
क्यूँ भूल जाते हैं,
अपने घर में लौटते ही,
सब कुछ.........
गंभीर प्रश्न.....?
सच ही.......
नारी विवश है हमारे आगे,
और हम विवश हैं अपने स्वभाव के आगे........
--राजीव उपाध्याय

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